By Seema Sharma, Times of India - Excerpts
भारतीय भूगर्भीय सर्वेक्षण ने जून २०१३ में राज्य में हुई आपदा पर अपनी रिपोर्ट में ६७ गांवों में २७४ गम्भीर रूप से भूक्षरित क्षेत्र चिन्हित किये हैं. ये हैं - रुद्रप्रयाग (२७ गांवों में ५४ क्षेत्र), पिथोरागढ़ (३५ गांवों में ६३ क्षेत्र), उत्तरकाशी (३ गांवों में ३५ क्षेत्र), चमोली (२ गांवों में ५० क्षेत्र) व बागेश्वर (७२ क्षेत्र, पर कोई उतना खतरनाक नहीं) जहाँ जान-माल का सर्वाधिक नुक्सान हुआ है।
जी.एस.आई. के निदेशक वी.के. शर्मा का कहना है, "यह देखा गया है कि मन्दाकिनी ने अपना रास्ता बदला है और अब वो दक्षिण में सरस्वती से जा मिली है। मन्दाकिनी का मूल पथ, उत्तर की ओर १५ मीटर ऊँचे मलबे के ढेर से बाधित हुआ है, जिसे नियंत्रित या रासायनिक विस्फोट की मदद से हटाना होगा; अन्यथा अगली बरसात में इन दोनों नदियों का संग्रहित पानी घाटी और आसपास के इलाकों में तबाही मचाएगा।"
श्री शर्मा ने केदारनाथ मंदिर में १५० मीटर की परिधि में किसी भी निर्माण के खिलाफ सावधान किया है, जहाँ पहले करीब १५० दुकानें व होटल थे। उनका कहना है, "मंदिर के आसपास का मलबा मशीनों से नहीं हटाया जा सकता क्योंकि क्षेत्र पारिस्थितिकी व भूगर्भीय दृष्टि से अति संवेदनशील है। हमारे दल ने, भू विच्छेदन राडार तकनिकज्ञी के ज़रिये केदारनाथ मंदिर की नींव के नीचे ७.५ मीटर की गहरायी पर दरारें पायी हैं।"
अखबार में छपी रिपोर्ट के लिए देखें - http://timesofindia.indiatimes.com/india/Channel-Mandakini-river-to-its-original-course-GSI/articleshow/28721142.cms
Geological Survey of India, in its report on the disaster of June 2013, has identified 274 critical landslide zones in 67 villages in Rudraprayag (54 zones in 27 villages), Pithoragarh (63 in 35 villages), Uttarkashi (35 in 3 villages), Chamol (50 in 2 villages)i and Bagheshwar (72 zones but not dangerous) districts which had suffered maximum damage to the life and property in the catastrophe.
भारतीय भूगर्भीय सर्वेक्षण ने जून २०१३ में राज्य में हुई आपदा पर अपनी रिपोर्ट में ६७ गांवों में २७४ गम्भीर रूप से भूक्षरित क्षेत्र चिन्हित किये हैं. ये हैं - रुद्रप्रयाग (२७ गांवों में ५४ क्षेत्र), पिथोरागढ़ (३५ गांवों में ६३ क्षेत्र), उत्तरकाशी (३ गांवों में ३५ क्षेत्र), चमोली (२ गांवों में ५० क्षेत्र) व बागेश्वर (७२ क्षेत्र, पर कोई उतना खतरनाक नहीं) जहाँ जान-माल का सर्वाधिक नुक्सान हुआ है।
जी.एस.आई. के निदेशक वी.के. शर्मा का कहना है, "यह देखा गया है कि मन्दाकिनी ने अपना रास्ता बदला है और अब वो दक्षिण में सरस्वती से जा मिली है। मन्दाकिनी का मूल पथ, उत्तर की ओर १५ मीटर ऊँचे मलबे के ढेर से बाधित हुआ है, जिसे नियंत्रित या रासायनिक विस्फोट की मदद से हटाना होगा; अन्यथा अगली बरसात में इन दोनों नदियों का संग्रहित पानी घाटी और आसपास के इलाकों में तबाही मचाएगा।"
श्री शर्मा ने केदारनाथ मंदिर में १५० मीटर की परिधि में किसी भी निर्माण के खिलाफ सावधान किया है, जहाँ पहले करीब १५० दुकानें व होटल थे। उनका कहना है, "मंदिर के आसपास का मलबा मशीनों से नहीं हटाया जा सकता क्योंकि क्षेत्र पारिस्थितिकी व भूगर्भीय दृष्टि से अति संवेदनशील है। हमारे दल ने, भू विच्छेदन राडार तकनिकज्ञी के ज़रिये केदारनाथ मंदिर की नींव के नीचे ७.५ मीटर की गहरायी पर दरारें पायी हैं।"
अखबार में छपी रिपोर्ट के लिए देखें - http://timesofindia.indiatimes.com/india/Channel-Mandakini-river-to-its-original-course-GSI/articleshow/28721142.cms
Geological Survey of India, in its report on the disaster of June 2013, has identified 274 critical landslide zones in 67 villages in Rudraprayag (54 zones in 27 villages), Pithoragarh (63 in 35 villages), Uttarkashi (35 in 3 villages), Chamol (50 in 2 villages)i and Bagheshwar (72 zones but not dangerous) districts which had suffered maximum damage to the life and property in the catastrophe.
GSI director VK
Sharma said, “It was seen that the Mandakini river changed its
course and has now merged with Saraswati river in the south. The original
course of Mandakini on the North side has got blocked with a 15 m high debris
mound which will have to be removed with the help of controlled or chemical
blasts. Otherwise the collective water volume of these two rivers can wreak
havoc in the valley and the connecting area in the next monsoon.”
He cautioned against any construction within 150 meter of the Kedarnath
temple, which earlier had almost 150 shops and hotels. "The debris cannot
be removed mechanically as the region is seismically and ecologically very fragile.
Our team has also spotted cracks 7.5 m deep under the foundation of Kedarnath
temple by using ground penetrating radar technology."
For the complete newspaper report, see - http://timesofindia.indiatimes.com/india/Channel-Mandakini-river-to-its-original-course-GSI/articleshow/28721142.cms
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