Source: Water Watch; स्त्रोत : वाटर वाच
"हिमालय में बाँध निर्माण का विस्तार दुर्दमनीय है," यह कहना है, मस्साचुसेट्स विश्वविद्यालय (बोस्टन, सं.रा. अमरीका) में संरक्षण जीवविज्ञानी कमलजीत बावा का। "जोखिमों और विकल्पों का उचित मूल्यांकन किए बगैर, वे उस पर ज्यादा ही तेजी से बढ़ रहे हैं।"
किसी भी परियोजना के लिए उसका EIA (पर्यावरण प्रभाव आंकलन) होना ज़रूरी है। परन्तु यह आंकलन आमतौर पर बाँध और झील के 10 किमी घेरे (त्रिज्या) में ही किया जाता है। उसमे न तो बाँध के अनुप्रवाह
(नीचे) और न ही इलाके में मजदूरों या अन्य कामगारों के आगमन व अन्य अवसंरचनात्मक निर्माण से होने वाले द्वितीयक प्रभावों का आंकलन किया जाता है।
एक ही नदी पर यदि बहु-बाँध प्रस्तावित या निर्माणाधीन हैं, उस स्तिथि में भी व्यक्तिगत परियोजना को स्वीकृति देने से पहले, बहु-बांधों के संचित प्रभावों का आंकलन नहीं किया जाता है। कमलजीत बावा के अनुसार, परियोजनाओं के व्यक्तिगत प्रभाव चाहे स्वीकार्य भी हों, तो भी एक ही नदी पर एक के ऊपर दुसरे, श्रंख्लाबध बांधों के भूगर्भीय खतरे व पारिस्थितिकी तंत्र पर उनके क्रम प्रभाव अत्यंत गंभीर हो सकते हैं।
पूरा लेख पढ़ने के लिए नीचे लिंक देखें।
http://www.nature.com/news/flood-of-protest-hits-indian-dams-1.11932
"हिमालय में बाँध निर्माण का विस्तार दुर्दमनीय है," यह कहना है, मस्साचुसेट्स विश्वविद्यालय (बोस्टन, सं.रा. अमरीका) में संरक्षण जीवविज्ञानी कमलजीत बावा का। "जोखिमों और विकल्पों का उचित मूल्यांकन किए बगैर, वे उस पर ज्यादा ही तेजी से बढ़ रहे हैं।"
किसी भी परियोजना के लिए उसका EIA (पर्यावरण प्रभाव आंकलन) होना ज़रूरी है। परन्तु यह आंकलन आमतौर पर बाँध और झील के 10 किमी घेरे (त्रिज्या) में ही किया जाता है। उसमे न तो बाँध के अनुप्रवाह
(नीचे) और न ही इलाके में मजदूरों या अन्य कामगारों के आगमन व अन्य अवसंरचनात्मक निर्माण से होने वाले द्वितीयक प्रभावों का आंकलन किया जाता है।
एक ही नदी पर यदि बहु-बाँध प्रस्तावित या निर्माणाधीन हैं, उस स्तिथि में भी व्यक्तिगत परियोजना को स्वीकृति देने से पहले, बहु-बांधों के संचित प्रभावों का आंकलन नहीं किया जाता है। कमलजीत बावा के अनुसार, परियोजनाओं के व्यक्तिगत प्रभाव चाहे स्वीकार्य भी हों, तो भी एक ही नदी पर एक के ऊपर दुसरे, श्रंख्लाबध बांधों के भूगर्भीय खतरे व पारिस्थितिकी तंत्र पर उनके क्रम प्रभाव अत्यंत गंभीर हो सकते हैं।
पूरा लेख पढ़ने के लिए नीचे लिंक देखें।
http://www.nature.com/news/flood-of-protest-hits-indian-dams-1.11932
“The
magnitude of dam building in the Himalayas is overwhelming,” says Kamaljit
Bawa, a conservation biologist at the University of Massachusetts, Boston.
“They are moving too fast without properly assessing the risks and
alternatives.”
The
Indian government has required EIAs for the projects, but the assessments
usually cover a radius of only 10 kilometres from the dam and reservoir,
and do not consider downstream effects or secondary impacts caused by the
influx of labour and infrastructure such as power lines. And the cumulative
impact of multiple dams along the same river is not assessed before individual
projects are approved. Even if the impacts of individual projects are acceptable,
the cascading effects on ecosystems and the geological hazards of dams stacking
on top of one another along the same river may be serious, he says.
See the link above for full article.
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